उत्तराखंड विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों पर कार्रवाई करते हुए विधानसभा अध्य्क्ष ने सभी 228 कर्मचारियों के बर्खास्ती का नोटिस जारी किया गया था… जिसको लेकर बर्खास्त कर्मचारियों ने दायर की थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कर्मचारियों को एक झटका दे दिया है…
विधानसभा सचिवालय में तदर्थ आधार पर नियुक्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के फैसले पर सुप्रीमकोर्ट की खंडपीठ ने भी मुहर लगा दी है। बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से दायर विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इससे हटाए गए कर्मचारियों को झटका लगा है।
विधानसभा में बैकडोर से भर्तियां करने पर सवाल उठने से स्पीकर ऋतु खंडूड़ी भूषण ने 3 सितंबर 2022 को पूर्व आईएएस अधिकारी डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्य विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया था। जांच समिति ने राज्य गठन से 2021 तक तदर्थ आधार पर की र्गईं नियुक्तियों की जांच कर 20 दिन के भीतर 22 सितंबर 2022 को विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंप दी थी।
समिति ने जांच में पाया कि तदर्थ आधार पर नियुक्तियां नियम विरुद्ध की गई हैं। समिति की रिपोर्ट पर विधानसभा अध्यक्ष ने 23 सितंबर को तत्काल प्रभाव से 2016 से 2021 तक की गईं कुल 228 नियुक्तियां को रद्द कर कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था।
विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ कर्मचारी हाईकोर्ट में चले गए। एकल पीठ ने कर्मचारियों को राहत देते हुए बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी। इस पर विधानसभा सचिवालय ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील दायर कर दी।
24 नवंबर को विधानसभा अध्यक्ष के बर्खास्तगी के फैसले को खंडपीठ ने सही ठहराया। जिसके बाद हटाए गए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर कर दी। खंडपीठ ने कर्मचारियों की याचिका खारिज कर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर मुहर लगा दी है।